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Kavita Kosh से
|रचनाकार=अज्ञात
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{{KKLokGeetBhaashaSoochi|भाषा=राजस्थानीKKCatRajasthaniRachna}}<poem>
ओ लुळ ओ झुक
ओ लुळ जाई रे हरिया पोदीना
ओ झुक जाई रे हरिया पोदीना
ओ तने सिल पे बटांऊं हरिया पोदीना
ओ झुक जाई रे हरिया पोदीना
क्यारियां में बाऊं केवडो़ खेताँ में बाऊं हरियो पोदिनो
ओ लुळ ओ झुक
ओ लुळ जाई रे हरिया पोदीना
ओ झुक जाई रे हरिया पोदीना
माथा पे ल्याई केवडो़ झोळी में ल्याई हरियो पोदिनो
ओ लुळ ओ झुक
ओ लुळ जाई रे हरिया पोदीना
ओ झुक जाई रे हरिया पोदीना
सासूजी ने भावे केवडो़ सुसराजी ने भावे हरियो पोदिनो
ओ लुळ ओ झुक
ओ लुळ जाई रे हरिया पोदीना
ओ झुक जाई रे हरिया पोदीना
जेठजी ने भावे केवडो़ जेठाणी ने भावे हरियो पोदिनो
ओ लुळ ओ झुक
ओ लुळ जाई रे हरिया पोदीना
ओ झुक जाई रे हरिया पोदीना
देवेरजी ने भावे केवडो़ देवरानी ने भावे हरियो पोदिनो
ओ लुळ ओ झुक
ओ लुळ जाई रे हरिया पोदीना
ओ झुक जाई रे हरिया पोदीना
ओ तने सिल पर बटांऊं हरिया पोदीना
ओ झुक जाई रे हरिया पोदीना
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