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Kavita Kosh से
मैंने उसे थोड़ा-सा संवार दिया,<br>
किसी की संवेदना में आग का-सा ताप था<br>
मैंने दुर दूर हटते-हटते उसे धिक्कार दिया ।<br><br>
कोई हुनरमन्द था:<br>
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