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लिख है..... मुझको भी लिखना पड़ा है<br>जहाँ से हाशिया छोड़ा गया है<br><br>
अगर मानूस है तुम से परिंदा<br>तो फिर उड़ने को पर क्यूँ तौलता है<br><br>
कहीं कुछ है…है... कहीं कुछ है…है... कहीं कुछ<br>मेरा सामन सब बिखरा हुआ है<br><br>
मैं जा बैठूँ किसी बरगद के नीचे<br>
सुकूँ का बस यही एक रास्ता है <br><br>
मगर पानी को रास्ता मिल गया है