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|रचनाकार=वीरा
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|नाम=उतना ही हरा भरा
|रचनाकार=[[वीरा]]
|भाषा=हिन्दी
|विषय=कविताएँ
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|पृष्ठ=92
|ISBN=81-87302-56-9
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'''सुबह की ओस उन पर भी
* [[मछलियाँ / वीरा]]