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Kavita Kosh से
सच के सवाल पर<br>
और वे पूछते रहे फिर भी<br>
और कुछ मैंने छुपा लिए पलकों में<br>
बुरे मौसम की आशंका में,<br>
किसी दरार को सींते हुए.<br><br>
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