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बाँका झूला सिय साजन कारी,
मोतिनहार, बंदनवार, हीरे हज़ार की कतार।
बार-बार छवि निहार, रतिपति निज्म्द निजमद भुलारी॥ बाँका झूला...
चम्पा, चमेली, मोतिया, बेला, जूही अकेली छवि सकेली।
झेलि-मेलि करत केलि, फूलों की महक से फूलारी॥
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