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{{KKRachnakaarParichay
|रचनाकार=अमृतलाल दुबे
}}
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'''संंक्षिप्त परिचय'''
कवि गिरिवरदास वैष्णव जी का जन्म 1897 में रायपुर जिला के बलौदाबाजार तहसील के गांव मांचाभाठ में हुआ था। उनके पिता हिन्दी के कवि रहे हैं, और बड़े भाई प्रेमदास वैष्णव भी नियमित रुप से लिखते थे।
गिरिवरदास वैष्णव जी सामाजिक क्रांतिकारी कवि थे। अंग्रेजों के शासन के खिलाफ लिखते थे -
अंगरेजवन मन हमला ठगके
हमर देस मा राज करया
हम कइसे नालायक बेटा
उंखरे आ मान करया।
उनकी प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ी कविता संग्रह "छत्तीसगढ़ी सुनाज" के नाम से प्रकाशित हुई थी। उनकी कविताओं में समाज के झलकियाँ मिलती है। समाज के अंधविश्वास, जातिगत ऊँत-नीच, छुआछूत, सामंत प्रथा इत्यादि के विरोध में लिखते थे।
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|रचनाकार=अमृतलाल दुबे
}}
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'''संंक्षिप्त परिचय'''
कवि गिरिवरदास वैष्णव जी का जन्म 1897 में रायपुर जिला के बलौदाबाजार तहसील के गांव मांचाभाठ में हुआ था। उनके पिता हिन्दी के कवि रहे हैं, और बड़े भाई प्रेमदास वैष्णव भी नियमित रुप से लिखते थे।
गिरिवरदास वैष्णव जी सामाजिक क्रांतिकारी कवि थे। अंग्रेजों के शासन के खिलाफ लिखते थे -
अंगरेजवन मन हमला ठगके
हमर देस मा राज करया
हम कइसे नालायक बेटा
उंखरे आ मान करया।
उनकी प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ी कविता संग्रह "छत्तीसगढ़ी सुनाज" के नाम से प्रकाशित हुई थी। उनकी कविताओं में समाज के झलकियाँ मिलती है। समाज के अंधविश्वास, जातिगत ऊँत-नीच, छुआछूत, सामंत प्रथा इत्यादि के विरोध में लिखते थे।
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