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|रचनाकार=मुरली चंद्राकर
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|भाषा=छत्तीसगढी
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<poem>
खुनुर खुनुर~
खुनुर खुनुर सुर में बाजे
चुटकी चटक बोले रे बैरी पैरी ल
छी
बैरी पैरी ल चिटको सरम नइ लागे
पैरी ल चिटको सरम नइ लागे
खुनुर खुनुर~

रुनझुन रुनझुन सुनगुन सुनगुन
थिरक थिरक के बोले
थिरक थिरक के बोले
रुनझुन रुनझुन सुनगुन सुनगुन
थिरक थिरक के बोले
थिरक थिरक के बोले
मांदर थाप थाप सुन नाचे
मांदर थाप
मांदर थाप थाप सुन नाचे
नवरस नवरंग घोले रे बैरी पैरी ल
छी
बैरी पैरी ल चिटको सरम नइ लागे
पैरी ल चिटको सरम नइ लागे
खुनुर खुनुर~

कैसन हे तोर सांचा खांचा
कैसन हे सिरजैया
कैसन हे सिरजैया
कैसन हे तोर सांचा खांचा
कैसन हे सिरजैया
कैसन हे सिरजैया
चाल चलत कनिहा मटके सखि
चाल चलत
चाल चलत कनिहा मटके सखि
ताना मारे ठोले रे बैरी पैरी ल
छी
बैरी पैरी ल चिटको सरम नइ लागे
पैरी ल चिटको सरम नइ लागे
खुनुर खुनुर~

सुर के बही धनी सुर बैहा
सुर के सुर म बोले
सुर के सुर म बोले
सुर के बही धनी सुर बैहा
सुर के सुर म बोले
सुर के सुर म बोले
अवघट घाट-बाट नइ चिन्हे
अवघट
अवघट घाट-बाट नइ चिन्हे
संग संगवारी डोले रे बैरी पैरी ल
छी
बैरी पैरी ल चिटको सरम नइ लागे
पैरी ल चिटको सरम नइ लागे
खुनुर खुनुर~
खुनुर खुनुर सुर में बाजे
चुटकी चटक बोले रे बैरी पैरी ल
छी
बैरी पैरी ल चिटको सरम नइ लागे
पैरी ल चिटको सरम नइ लागे या
बैरी पैरी ल चिटको सरम नइ लागे
चिटको सरम नइ लागे
चिटको सरम नइ लागे
चिटको सरम नइ लागे
</poem>
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