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झन मारो गुलेल / हरि ठाकुर

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झन मारो गुलेल
झन मारो गुलेल
बाली उमर लरकईया

बिछिया बोले झुमका डोले
अंग अंग मुस्काए
हवा मा अचरा उड़-उड़ जाए
मोर जी घबराए
बाजत है बैरी पैजनियां

झन मारो गुलेल
झन मारो गुलेल
बाली उमर लरकईया

नार नवेली मैं अलबेली
रतनारे हैं नैन
हो मोरे मधु छलकत है बैन
गदराए है बैन
पीछे पड़े मोरे सईया

झन मारो गुलेल
झन मारो गुलेल
बाली उमर लरकईया
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