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तलाश / सोना श्री

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|रचनाकार=सोना श्री
}}
<poem>
याद नहीं है
कब से खींची
कई घर तबाह कर देती
अपने आक्रोश में l
</poem>
सो मैं रूक गयी
साहिल तक जाती है
उसकी तलाश में
</poem>
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