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जब अधरों पर प्यास थी, टूटी मन की आस।
संयम के तट पर खड़े , सपने हुए उदास।।
भाग्य- भाग्य का खेलहै, जो विधि लिखा लिलार।
उमर बिता दी याद में, लेकर उनका नाम।
घूँट- घूँट , पल- पल पिए , आँसू के ही जाम।।
रातों की नींदें गई , गया आत्मविश्वास।तन ही मेरे पास है , मन है उनके पास।।
जीवन भर छलती रही, आशा नमकहराम।
दृग के अश्कों ने किया , डगर- डगर बदनाम।।
आँसू-आँसू में लिखा, सुमुखि! तुम्हारा नाम।
बसी रह गई हृदय में, बस उसकी तस्वीर।।
जब से मानस- पटल पर , बना तुम्हारा चित्र।
तब से मेरी आँख के, आँसू हुए पवित्र।।
उनके ऊपर है पड़ी, हाय वक्त की मार।।
मन बौराया आम-सा , तन हो गया बबूल।
आँखों में चुभने लगे, हर मौसम के फूल।।
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