Changes

किरदार / डी. एम. मिश्र

662 bytes added, 17:30, 1 जनवरी 2017
{{KKCatKavita}}
<poem>
एक वह है
जिसे देह का सुख
निगल रहा है
दूसरा वह है
जिसे आत्मा का सुख
मुक्त कर रहा है
एक वह है
जिससे ईश्वर ने सारी न्यामतें छीन लीं
फिर भी वह धनसंचय के पीछे पड़ा हुआ है
दूसरा वह है
जो थोड़े में गुज़ारा कर रहा है
लिप्सा से दूर
खुले आसमान के नीचे
सन्तुष्ट है और खुश
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,393
edits