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Kavita Kosh से
खिलौने का मुक़द्दर है यही तो क्या करे कोई
नहीं खेलें तो सड़ जाये, जो खेलें टूट जाता है।
ख़ुदा ने जो बनाया है ज़रूरी ही बनाया है