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नींद हवा पानी प्रकाश पर, सब झन के रहिथय अधिकारधन जीविका भूमि पर होवय, स्वर्ग कल्पना तब साकार।”पुट ले मुंदिस दुनों के आंखी, फजर में खुलगे उनकर नींदरटपट उठिन गरीबा दसरु, करत हवंय चीला के याद।दसरु कथय- “रखे हस सुरता, हम्मन कल लुकाय का चीजतंय खुद ला हुसनाक समझथस, मोर प्रश्न के बता जुवाप?”कथय गरीबा- “मंय जानत हंव, तोर प्रश्न के उत्तर ठीकतंय चीला के बात करत हस, जेला चुप लुकाय कल ज्वार।चलना दउड़ दुसर खंड़ जाबो, चीला हेर के लाबो जल्दहम तुम दुनों पाटभाई अस, जिनिस उड़ाबो आपुस बांट।”दुनों मितान गीन दुसरा खंड़, चीला ला खोजत हें खूबपर चीला हा हाथ लगत नइ, लहुट अैैन पालक के पास।कथय गरीबा हा सुद्धू ला- “कोन लेग गीस चीला मोरशंका जावत हवय तोर पर, अगर चोराय सफा तब बोल!तंय स्वीकार अपन गल्ती ला, हमर पास मं रख दे चीजवरना फुराजमोखी होहय, सब के पास खोलिहंव पोल।”सुद्धू कथय – “अरे एकलौता, मंय नइ जानंव चीला तोरकहां रखे हस कोन हा लेगिस, जमों बात ले मय अनजान।कतको मुसुवा बिलई हमर घर, हो सकथय ओमन खा गीनसत्य बिखेद ज्ञात कर पहिली, तेकर बाद दोष ला डार।मोर बाप हा चोर ए कहिके, पीट ढिंढोरा झन हर ओरवरना मंय बदनाम हो जाहंव, मनसे मन हंसिहय घर खोर।तुमला चहिये खाय खजानी, मंय कर देवत उचित प्रबंधचुट पुट चना भूंज देवत हंव, खाव दुनों तुम कूद उछंद।”कोइला आग में चना ला भूंजिस, मुठा मं भर सुद्धू हा दीसठठरिंग चाब दुरा मन बोलिन- “बुढ़ुवा हा बुुद्धू बन गीस।यद्यपि ददा उमर मं बड़का, पर ओकर तिर हे कम बुद्धिमिल्खी मारत नवा चाल चल, हम्मन चतुर ला हरवा देन।”बिसरु हा सब खेल ला देखत, मन मं होवत खुशी-विभोरसुद्धू ला केंघराय चिढ़ावत, लइका मन के लेवत पक्ष।बिसरु हा सुद्धू ला बोलिस- “लइका ला अऊ नानुक बोलठंउका मं तंय उंकर ले बड़का, लेकिन ढोल के अन्दर पोल”सुद्धू कथय- “रहस्य ला जानत, काबर लेत संरोटा सोगयदि तंय उकर पक्ष नइ लेबे, बेंदरा पर घोड़ा के रोग”“अपन पास हाना गठिया-रख, हम लहुटत हन चीला-चोरगप्प-गोठमं बिलम गेन हम, अब बिन कारण झन बिल्होर”अतका कहि बिसरु हा चल दिस, अपन पुत्र दसरु के साथबढ़त गरीबा समय के संग मं, पात पिता के मया-दुलार।एक दिन सुद्धू हा गैय्या ला, घांस खवा-सारत हे पीठदूध दुहे के समय अैस तंह, सिझे कसेली ला धर लैस।अलग जगा बछरु तेला ढिल, लान थन धराथय पनहायबछरु ला अलगात गरीबा, दुहे बखत हुमेलन झन पाय।बछरु हा छटकारत तब ले झींकत हवय गरीबा।सुद्धू दूहत दूध चरर माड़ी पर राख कसेली।काम खत्म कर सूद्धू हटथय, करिस गरीबा पिला अजादगाय के थन ला बछरु चीखत, मिट्ठी दूध ला लेगत पेट।कमती दूध गरीबा देखिस, तंह सुद्धू तिर रखथय प्रश्न –“काबर खोंची अस निचोय हस, मोर पिये बर कमती होत”“बछरु घलो हमर अस प्राणी, पोंस के करिहंव बली जवानकृषि के काम ला अड़ निपटाहय, बइला होथय कृषक के मित्र।”सुद्धू हा कहि दूध चुरो झप, पुत्र ला परसिस दूध अउ भातबइठ पालथी खात गरीबा, धोइस हाथ छके के बाद।सुद्धू हा पट्टी-किताब दिस, कथय गरीबा ला कर स्नेह-“शाला जाय टेम हा हो गिस, उहां पहुंच के तंय पढ़ खूब।जमों छात्र मन तोर हितैषी, उंकर साथ तंय रखबे प्रेमककरो गुमे जिनिस यदि पाबे, ओकर चीज ला लहुटा देव।तोर ध्यान ला हरदम रखथव, तब मंय राखत हंव वि•ाासतोर शिकायत आय कभुच झन, नेक राह पर रैंग सदैव”तुरुत गरीबा हा चिढ़ जाथय- “शाला जाय बढ़ाथंव गोड़चिक चक कर-उपदेश पियाथस, अब ले भाषण ला रख बंद।एकर बदला एक काम कर- मोला पढ़ा गणित-विज्ञानतोर समय हा ठीक कट जाहय, विकसित होहय मोर दिमाग”सुद्धू हा प्रसन्न हो जाथय- “अब मोला हो गिस सब ज्ञातविद्या पाय तोर रुचि बढ़ गिस, निश्चय उज्जवल तोर भविष्य।विषय के प्रश्न के उत्तर खोजत, खोज करत जिज्ञासु समानजग मं कठिन प्रश्न हे कई ठक, तिहिंच एक दिन देबे ज्वाप।एक बात मंय कहे चहत हंव – तंय कतको बड़का बन जासमगर हमर बर नानुक शिशु अस, सदा गाय बर बछरु आस।हम डरथन- तंय गलत रेंग झन, तब हम देवत रथन सलाहयद्यपि तोला अनख जनावत, पर आखिर तोरेच भर लाभ”
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