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[[Category:ग़ज़ल]]
बहुत पहले से उन कदमों क़दमों की आहट जान लेते हैं<br>
तुझे ए ज़िन्दगी, हम दूर से पहचान लेते हैं<br><br>
 
मेरी नजरें भी ऐसे कातिलों का जान ओ ईमान हैं<br>
निगाहे मिलते ही जो जान और ईमान लेते हैं <br><br>
 
तबियत अपनी घबराती है जब सुनसान रातों में<br>
हम ऐसे में तेरी यादों के चादर तान लेते हैं<br><br>
 
खुद अपना फ़ैसला भी इश्क में काफ़ी नहीं होता<br>
उसे भी कैसे कर गुजरें जो दिल में ठान लेते हैं<br><br>
 
जिसे सूरत बताते हैं, पता देती है सीरत का<br>
इबारत देख कर जिस तरह मानी जान लेते हैं<br><br>
 तुझे घाटा ना होने देंगे कारोबार --उल्फ़त में<br>हम अपने सर तेरा दोस्त हर एहसान नुक़सान लेते हैं<br><br>  रफ़ीक़-ए-ज़िन्दगी थी अब अनीस-ए-वक़्त-ए-आखिर है<br>तेरा ऎ मौत! हम ये दूसरा एअहसान लेते हैं<br><br> 
हमारी हर नजर तुझसे नयी सौगन्ध खाती है<br>
तो तेरी हर नजर से हम नया पैगाम लेते हैं<br><br>
 ज़माना वारदात-ए-क़्ल्ब सुनने को तरसता है <br>इसी से तो सर आँखों पर मेरा दीवान लेते हैं <br><br> 'फ़िराक ' अक्सर बदल कर भेस मिलता है कोई काफ़िर<br>
कभी हम जान लेते हैं कभी पहचान लेते हैं<br><br>