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{{KKRachna
|रचनाकार=योगेंद्र कृष्णा
|संग्रह=कविता के विरुद्ध / योगेंद्र कृष्णा
}}
<poem>
मैं तुम्हें केवल
कुछ शब्द सौंप सकता हूं
तुम चाहो तो इनसे
अपने जीवन में चारो तरफ
जमीन से आसमान तक
जीवंत और उदात्त
कोई मंजर गढ़ लो
या फिर अपने ही भीतर
उतरने के लिए जरूरी
हौसला और संगीत रच लो
तुम चाहो तो
इन शब्दों को
लाचार या बेबसों
का हथियार हो जाने दो
या फिर
मृत-शैय्या पर लेटे
उस आदमी की अंतिम
सांस हो जाने दो
गलियों सड़कों पर
चाहो तो इन्हें
आम जन की भाषा
या प्रतिरोध में बजने दो
लेकिन किसी के इशारे पर
कभी इन शब्दों से
अपने ही होठ मत सिलने दो
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|रचनाकार=योगेंद्र कृष्णा
|संग्रह=कविता के विरुद्ध / योगेंद्र कृष्णा
}}
<poem>
मैं तुम्हें केवल
कुछ शब्द सौंप सकता हूं
तुम चाहो तो इनसे
अपने जीवन में चारो तरफ
जमीन से आसमान तक
जीवंत और उदात्त
कोई मंजर गढ़ लो
या फिर अपने ही भीतर
उतरने के लिए जरूरी
हौसला और संगीत रच लो
तुम चाहो तो
इन शब्दों को
लाचार या बेबसों
का हथियार हो जाने दो
या फिर
मृत-शैय्या पर लेटे
उस आदमी की अंतिम
सांस हो जाने दो
गलियों सड़कों पर
चाहो तो इन्हें
आम जन की भाषा
या प्रतिरोध में बजने दो
लेकिन किसी के इशारे पर
कभी इन शब्दों से
अपने ही होठ मत सिलने दो