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|रचनाकार=योगेंद्र कृष्णा
|संग्रह=कविता के विरुद्ध / योगेंद्र कृष्णा
}}
<poem>
''(31 दिसंबर, 2014)''

इतनी आसानी से
नहीं हो जाता कोई विदा

वह थोड़ा-थोड़ा
जरूर रह जाता है
तुम्हारे साथ

अदृश्य और निराकार

और तुम भी
थोड़ा ही सही

चले जाते हो
दूर तलक साथ-साथ उसके
जो हुआ है
अभी-अभी तुमसे विदा...