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|रचनाकार=विजय वातेगिरिधर शर्मा 'नवरत्न'
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जय जय जय जय हिन्दुस्तान<br>जय जय जय जय हिन्दुस्तान<br>महिमंडल में सबसे बढके<br>हो तेरा सन्मान<br>सौर जगत् में सबसे उन्नत<br>होवे तेरा स्थान<br>अखिल विश्व में सबसे उत्तम<br>है तू जीवन प्रान<br>जय जय जय जय हिन्दुस्तान<br>जय जय जय ज हिन्दुस्तान<br><br>(१)<br>धर्मासन तेरा बढकर है<br>रक्षक तेरा गिरिवरधर है<br>न्यायी तू है तू प्रियवर है<br>है प्रिय तव सन्तान<br>जय जय जय जय हिन्दुस्तान<br>महिमंडल में सबसे बढकर<br>सौर जगत् में सबसे उन्नत<br>अखिल विश्व में सबसे उत्तम<br>जय जय जय जय हिन्दुस्तान<br>जय जय जय हिन्दुस्तान<br><br>(२)<br>पैदा हुआ न तू बन्धन को<br>दुःख से मुक्त करे तू जन को<br>फिरे न तू कह नीति वचन को<br>है तेरा शुचि ज्ञान<br>जय जय.<br>महिमंडल में.<br>सौर जगत् में.<br>अखिल विश्व में.<br>जय जय.<br>जय जय.<br><br>(३)<br>बडे बडे तप पूर्ण किये हैं<br>हरि को भी निज गोद लिये हैं<br>इन्द्रासन भी हिला दिये हैं<br>है तेरी वह शान<br>जय जय.<br>महिमंडल में.<br>सौर जगत् में.<br>अखिल विश्व में.<br>जय जय.<br>जय जय.<br><br>(४)<br>तेजस्वी तेरे बालक हैं<br>आत्म प्रतिष्ठा के पालक हैं<br>विश्व ताज के संचालक हैं<br>ध्रुवसम, देश महान्<br>जय जय.<br>महिमंडल में.<br>सौर जगत् में.<br>अखिल विश्व में.<br>जय जय.<br>जय जय.<br><br>(५)<br>तव सुगन्धि सब जग में छावे<br>लोक मान्य तू सब को भावे<br>तेरी मोहन मूर्ति सुहावे<br>करूँ निछावर जान<br>जय जय.<br>महिमंडल में.<br>सौर जगत् में.<br>अखिल विश्व में.<br>जय जय.<br>जय जय.<br>जय जय जय जय हिन्दुस्तान<br>
जय जय जय जय हिन्दुस्तान।