भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
तेग़<ref>तलवार</ref> क्या चीज़ है, हम तोप से लड़ जाते थे ।
नक़्श तौहीद<ref>त'वाहिद, एकत्व. यानि ये कहना कि अल्लाह एक है और उसके स्वरूप, तस्वीर, मूर्तियां या अवतार मूर्तियां नहीं हैं, अरबी गिनती में वाहिद का अर्थ 'एक' होता है ।</ref> का हर दिल पे बिठाया हमने ।
तेरे ख़ंज़र लिए पैग़ाम सुनाया हमने ।
तू ही कह दे के, उखाड़ा दर-ए-ख़ैबर<ref>ख़ैबर मदीना के पास एक स्थान है, जहाँ यहूदी रहा करते थे । अन्य यहूदियों के साथ सांठगाँठ करने के शक में मुस्लिम सेना को पैग़म्बर मुहम्मद ने इनपर आक्रमण का हुकम दिया । युद्ध में यहूदी हार गए और इस लड़ाई को उस समय और आज भी एक प्रतीकात्मक विजय के रूप में देखा जाता है । उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान में पेशावर के पास का दर्रा भी इसी नाम से है, जिससे होकर कई विदेशी आक्रांता भारत आए; सिकंदर, बाबर और नादिर शाह इनमें से कुछ उल्लेखनीय नाम हैं । </ref> किसने?शहर कैसर<ref>सीज़र का अरबी नाम, सीज़र रोम के शासक की उपाधि होती थी- जूलयस सीज़र, ऑगस्टस सीज़र आदि </ref> का जो था, उसको किया सर किसने?
तोड़े मख़्लूक<ref>बनाया हुआ, कृत्रिम । इस्लाम के विश्वास के मुताबिक ईश्वर की वंदना उचित है और ईश्वर के रूप (तस्वीर, मूर्ति ) तथा ईश्वर के द्वारा बनाए गए चीज़ों की वंदना अनुचित । इन ईश्वर द्वारा बनाई गई चीजों में सूर्य, चांद, पेड़, कोई व्यक्ति इत्यादि आते हैं जिसकी वंदना स्वीकार्य नहीं है । </ref> ख़ुदाबन्दों के पैकर<ref>आकृति, स्वरूप</ref> किसने?
काट कर रख दिये कुफ़्फ़ार<ref>काफ़िर का बहुवचन</ref> के लश्कर<ref>सेना</ref> किसने?
आ गया ऐन लड़ाई में अगर वक़्त-ए-नमाज़
क़िब्ला रू हो<ref>मक्के के रुख होकर</ref> के ज़मीं -बोस<ref>जमीन चूमना, अर्थ सजदे के लिए झुकने से है ।</ref> हुई क़ौम-ए-हिजाज़ <ref>मुस्लिम क़ौम। हिजाज़ वो अरबी प्रांत है जिसमें मक्का और मदीना हैं ।</ref> ।
एक ही सफ़ में खड़े हो गए महमूद -ओ- अयाज़ <ref> अयाज़ नाम का सुल्तान महमूद ग़ज़नी का एक ग़ुलाम था जिसकी बन्दगी से ख़ुश होकर सुल्तान ने उसे शाह का दर्जा दिया था और लाहौर को सन् १०२१ में बड़ी मुश्किलों से जीतने के बाद, उसे वहाँ का राजा बनाया था । </ref>
न कोई बन्दा रहा, और न कोई बन्दा नवाज़ ।
तेरी महफिल भी गई चाहनेवाले भी गए ।
शब की आहें भी गईं, जुगनूं के नाले भी गए ।
दिल तुझे दे भी गए ,अपना सिला ले भी गए ।
आ के बैठे भी न थे और निकाले भी गए ।
दर्द-ए-लैला भी वही, क़ैस <ref>लैला मजनूं की कहानी में मजनूं का वास्तविक नाम क़ैस था । मजनूं का नाम उसे पाग़ल बनने के बाद मिला । अरबी भाषा में मजनूं का शाब्दिक अर्थ पागल होता है । </ref> का पहलू भी वही ।
नज्द <ref>मध्य ईरान अरब का रेगिस्तान </ref>के दश्त-ओ-जबल में रम-ए-आहू <ref>हिरण की चौकड़ी </ref> भी वही ।
इश्क़ का दिल भी वही, हुस्न का जादू भी वही ।
उम्मत-ए-अहद-मुरसल भी वही, तू भी वही ।