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<font size=32>'''चाह गई चिंता मिटीमुझ भाग्यहीन की तू सम्बल, मनुआ बेपरवाह<br>युग वर्ष बाद जब हुई विकल'''<br>'''जिनको कछु नहि चाहियेदुख ही जीवन की कथा रही, वे साहन के साहक्या कहूँ आज, जो नहीं कही!'''<br></font>कविता कोश में [[रहीमसूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"]] कृत [[सरोज स्मृति / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"|सरोज स्मृति]]से
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