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करुण कथा जग से क्या कहनी ?<br />
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पवन पाश में पड़े पात ये <br />
जनम-मरण में रहे साथ ये<br />
"वृन्दावन" की श्लथ बाहों में <br />
समा गई ऋतु की "मृगनयनी" <br />
 
झर गये पात <br />
बिसर गई टहनी <br />
करुण कथा जग से क्या कहनी ?<br />
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