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कैसे भेंट तुम्हारी ले लूंलूँ?<br>
क्या तुम लाई हो चितवन में,<br>
क्या तुम लाई हो चुंबन में,<br>
क्या तुम लाई अपने मन में,<br>
क्या तुम नूतन लाई जो मैं<br>
फ़िर से बंधन झेलूंझेलूँ?<br>कैसे भेंट तुम्हारी ले लूंलूँ?<br>
वही प्रणय की राह पुरानी,<br>
अर्ध्य प्रणय का कैसे अपनी<br>
अंतर्ज्वाला में लूंलूँ?<br>कैसे भेंट तुम्हारी ले लूंलूँ?<br>
खेला झंझा के झर-झर से;<br>
तुममें आग नहीं तब क्या,<br>
संग तुम्हारे खेलूंखेलूँ?<br>कैसे भेंट तुम्हारी ले लूंलूँ?<br>
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