भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
बाधायें आती हैं आयें<br>
घोर घृणा में, पूत प्यार में,<br>
क्षणिक जीत में, दीघर हार में,<br>
जीवन के शत-शत आकर्षक ,<br>
अरमानों को ढ़लना होगा।<br>
कदम मिलाकर चलना होगा।<br><br>
Anonymous user