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Kavita Kosh से
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आजादी अभी अधूरी है।<br>
सपने सच होने बाकी है, <br>
कलकत्ते के फुटपाथों पर <br>
जो आँधी-पानी सहते हैं।<br>
उनसे पूछो, पन्द्र्ह पन्द्रह अगस्त के<br>
बारे में क्या कहते हैं।।<br><br>
आजादी पर्व मनाएँगे।।<br><br>
उस स्वणर् स्वर्ण दिवस के लिए आज से<br>
कमर कसें बलिदान करें।<br>
जो पाया उसमें खो न जाएँ, <br>
जो खोया उसका ध्यान करें।।<br><br>
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