भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रहलादराय पारीक |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=प्रहलादराय पारीक
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-2 / ओम पुरोहित ‘कागद’
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
छात री कड़ी
अर
मांचै री ईस,
दोन्यू जाड़ पीसै,
आदमी माथै,
एक नै टांग दी
एक नै दाब ली
पण आदमी
टंग्योड़ो अर दब्योड़ो
दांतरी काढै।
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=प्रहलादराय पारीक
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-2 / ओम पुरोहित ‘कागद’
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
छात री कड़ी
अर
मांचै री ईस,
दोन्यू जाड़ पीसै,
आदमी माथै,
एक नै टांग दी
एक नै दाब ली
पण आदमी
टंग्योड़ो अर दब्योड़ो
दांतरी काढै।
</poem>