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|संग्रह=थार-सप्तक-2 / ओम पुरोहित ‘कागद’
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<poem>
दिन ऊग्यां पैली
आतंक री धूड़
अखबार
ल्यार पटकी
म्हारै बारणै।
म्हारी आंख्यां मांय गडगी
आंख्यां डबडबा’र
भरीजगी
</poem>
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