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|रचनाकार=प्रहलादराय पारीक
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-2 / ओम पुरोहित ‘कागद’
}}
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<poem>
गाळ आपरो डील,
बणगी राख
राखली छाती मांय दाब,
सिळगती चिणगारी
सिरजण सारू
दूजी आग।
</poem>
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गाळ आपरो डील,
बणगी राख
राखली छाती मांय दाब,
सिळगती चिणगारी
सिरजण सारू
दूजी आग।
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