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{{KKRachna
|रचनाकार=चैनसिंह शेखावत
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-2 / ओम पुरोहित ‘कागद’
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
अे गोडावण
जे बठैई नाचै
प्रणय-मुद्रा में ईयां ई
तो पक्को जाण
हेत उणा में नीं अणजाण
सीयाळै रो तावड़ो
गुलाबीजतो होवैला
ठीक उणी भांत
वॉचिंग टावर स्यूं देख्यो है म्हैं
सिंज्या री छीयां मून व्है
जियां म्हारै गांव री
काची भींतां सूं
चिपेड़ी छापळीजै
तारां री आ सींव
सदियां रो आंतरो
जलमां रो फासलो।
</poem>
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|रचनाकार=चैनसिंह शेखावत
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-2 / ओम पुरोहित ‘कागद’
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<poem>
अे गोडावण
जे बठैई नाचै
प्रणय-मुद्रा में ईयां ई
तो पक्को जाण
हेत उणा में नीं अणजाण
सीयाळै रो तावड़ो
गुलाबीजतो होवैला
ठीक उणी भांत
वॉचिंग टावर स्यूं देख्यो है म्हैं
सिंज्या री छीयां मून व्है
जियां म्हारै गांव री
काची भींतां सूं
चिपेड़ी छापळीजै
तारां री आ सींव
सदियां रो आंतरो
जलमां रो फासलो।
</poem>