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|संग्रह=जरिबो पावक मांहि / आनंद कुमार द्विवेदी
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<poem>
(एक)

तुम्हारी आँखों की उपरी बरौनियाँ
मुझे लगती हैं स्वर्ग
नीचे वाली धरती
आँख का सफेद हिस्सा
निस्सीम फैला आकाश
और
काली पुतली लगती है
इस अनंत का ब्लैकहोल...

अब कोई जानबूझकर ब्लैकहोल में कूदेगा
तो बचेगा कैसे भाई !



(दो)

विज्ञान के अनुसार
दिल के धड़कने की गति
गर्भस्थ शिशु में ७० से ११० धड़कन प्रति मिनट
बालक की ७० से ९०
सामान्य आदमी की ६८ से ७५
अच्छे स्वास्थ्य और खिलाड़ियों की ४९ से ६५
आदमी जितना दुर्बल होगा
हृदय गति उतनी ही तेज
महिलाओं के दिलों की धड़कन पुरुषों की तुलना में अधिक होती है
बस यहीं बात समझ नहीं आयी मुझे
जिनके लिये धड़कता है उनकी धड़कन तेज ?
बहरहाल
अब ये विज्ञानसम्मत सच है कि
दिल का मामला हमेशा ही विरोधाभाषों से भरा रहता है

काश !
दीवानों और कवियों की एक अलग श्रेणी होती
आखिर दिल की बात
इनसे बेहतर और कौन जानता है !


(तीन)

विज्ञान ने बताया
कि
आँसुओं में
होता है
एक भाग आक्सीजन
दो भाग हाइड्रोजन
और बाकी का
सोडियम क्लोराइड

फिर मैंने धीरे से पूछा ...और वो ?

कोई ज़बाब नहीं...
मुझे पहले ही शक़ था
न तेरा पता मिलना
इतना आसान है

मेरे आँसुओं का हिसाब...


</poem>
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