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Kavita Kosh से
आज अपने बाज़ुओं को देख पतवारें न देख।<br><br>
अब यकीनन ठोस है धरती हकी़कत हकीकत की तरह,<br>
यह हक़ीक़त देख लेकिन खौफ़ के मारे न देख।<br><br>