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18:33, 25 जून 2017
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ये शोभा गजल कहो आसान नहीं देता तुमको सिहर जाहैमसोमात की लेकिन यह वरदान नहीं है फसल बेटे चर जा
डराए अगर तुमको दरिया गजल बयां की मौजेंबारीकी हैतू दरिया के सीने में चल के उतर जारुक्नों का अरकान नहीं है
मेरी ओर ताने गुलेली की गोलीअपना दुख तो कलियुग जैसामुझे कह रहा दो दिन का मेहमान नहीं है वो बरसों से डर जा
जनाजे को मेरे लिए चलने वालेजीवन मेरा एक कहानीजरा देख लूँ अपने घर को ठहर जाजिसका कुछ उनवान नहीं है
कोई डेंगू, ड्रोप्सी को कोई दिखाताखून हुआ सब चुप हैं वैसेमेरे आका इससे भी आगे तू कर जाकातिल पर अनजान नहीं है
है सरकार में सरसों में भी मिलावट जब तक चाहो सुख से रह लोजो जीना यहाँ दिल, है अफगानिस्तान नहीं है तो जी वरना मर जा
सभी की निगाहें तुम्हीं पर कड़ी हैंमारोगे तो रोएगा हीबहुत रात बीती अमरेन्दर तू घर जा।भगवान नहीं है।
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