भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भंवर कसाना |अनुवादक= |संग्रह=थार-स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=भंवर कसाना
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-4 / ओम पुरोहित ‘कागद’
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
कुरजां! थूं प्रीतां पाळी अे।
बरसां सूं अंतस री बातां
कैयी थां सूं आतां-जातां
उफण्यै जोबन दूध
नेह री छांटां राळी अे।
थारै स्हिारै बिरहण जीगी
जेर बिजोग बा हंसतां पीगी
सुण, थारै संगळी बैठ
बिजोगण रातां गाळी अे।
थूं सुहाग री धा बड़भागण
थारो चुड़लो अखंड सुहागण
आती जाती रीजै नितका
करस्या बातां भाळी अे।
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=भंवर कसाना
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-4 / ओम पुरोहित ‘कागद’
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
कुरजां! थूं प्रीतां पाळी अे।
बरसां सूं अंतस री बातां
कैयी थां सूं आतां-जातां
उफण्यै जोबन दूध
नेह री छांटां राळी अे।
थारै स्हिारै बिरहण जीगी
जेर बिजोग बा हंसतां पीगी
सुण, थारै संगळी बैठ
बिजोगण रातां गाळी अे।
थूं सुहाग री धा बड़भागण
थारो चुड़लो अखंड सुहागण
आती जाती रीजै नितका
करस्या बातां भाळी अे।
</poem>