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{{KKRachna
|रचनाकार=भंवर कसाना
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-4 / ओम पुरोहित ‘कागद’
}}
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<poem>
घोर अंधेरो किण नै पूछां
डर घणैरो किण नै पूछां
तागा-तागा व्हैया सगळा
टूटयो डोरो किण नै पूछां
दीखत रा सै रैग्या संगी
है सूनो डेरो किण नै पूछां
दीठ दिखातो कैर सूकग्यो
ओ रोवै धोरो किण नै पूछां
हेत हथाई किण संग राचां
कागज कोरो किण नै पूछां
</poem>
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|रचनाकार=भंवर कसाना
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-4 / ओम पुरोहित ‘कागद’
}}
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<poem>
घोर अंधेरो किण नै पूछां
डर घणैरो किण नै पूछां
तागा-तागा व्हैया सगळा
टूटयो डोरो किण नै पूछां
दीखत रा सै रैग्या संगी
है सूनो डेरो किण नै पूछां
दीठ दिखातो कैर सूकग्यो
ओ रोवै धोरो किण नै पूछां
हेत हथाई किण संग राचां
कागज कोरो किण नै पूछां
</poem>