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{{KKRachna
|रचनाकार=विद्यासागर शर्मा
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-7 / ओम पुरोहित ‘कागद’
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
(15)
पापुलर नेता होता खडग़सिंह 'खारा'
चाणचकै मरग्या लोग भेळा होग्या सारा
अर्थी पर लिटाया
लोगां नारा जद लगाया
नारा सुणर बांरा प्राण बावड़ग्या दुबारा।
(16)
'सेकूलर' होया करतो मनीराम 'मान'
मित्तर कई पंडत बीं रा दोस्त कई खान
रिकोर्डप्लेयर कर'र ओन
सुण्या करतो इयरफोन
एक कान सूं गीता सुणतो दूजै सूं कुरान।
</poem>
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|रचनाकार=विद्यासागर शर्मा
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-7 / ओम पुरोहित ‘कागद’
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(15)
पापुलर नेता होता खडग़सिंह 'खारा'
चाणचकै मरग्या लोग भेळा होग्या सारा
अर्थी पर लिटाया
लोगां नारा जद लगाया
नारा सुणर बांरा प्राण बावड़ग्या दुबारा।
(16)
'सेकूलर' होया करतो मनीराम 'मान'
मित्तर कई पंडत बीं रा दोस्त कई खान
रिकोर्डप्लेयर कर'र ओन
सुण्या करतो इयरफोन
एक कान सूं गीता सुणतो दूजै सूं कुरान।
</poem>