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{{KKRachna
|रचनाकार=अशोक परिहार 'उदय'
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-7 / ओम पुरोहित ‘कागद’
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
आज काल
कद बोलै कूकड़ो
झांझरकै-भाख फाटतां ई
अब तो बाजै तकियै तळै
अलारम मोबाइल रो
सुण'र उण रो हेलो
जागै आखी जीयाजूण
सुण'र उण मसीन रा बोल
खुद मिनख आखै दिन
भंवतो फिरै बण मसीन
कदैई
जीव रा बोल सुण
मिनख बणतो जीव
करतो रिछपाळ जीयाजूण री
अब जीव ई भखै जीव नै
जीव ई डरै जीव सूं
नीं डरै तो मरै जीव सूं
दिन मोकळा ऊगो-बिसूंजो
कूकड़ा बापड़ा बोलै क्यूं।
</poem>
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|रचनाकार=अशोक परिहार 'उदय'
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-7 / ओम पुरोहित ‘कागद’
}}
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<poem>
आज काल
कद बोलै कूकड़ो
झांझरकै-भाख फाटतां ई
अब तो बाजै तकियै तळै
अलारम मोबाइल रो
सुण'र उण रो हेलो
जागै आखी जीयाजूण
सुण'र उण मसीन रा बोल
खुद मिनख आखै दिन
भंवतो फिरै बण मसीन
कदैई
जीव रा बोल सुण
मिनख बणतो जीव
करतो रिछपाळ जीयाजूण री
अब जीव ई भखै जीव नै
जीव ई डरै जीव सूं
नीं डरै तो मरै जीव सूं
दिन मोकळा ऊगो-बिसूंजो
कूकड़ा बापड़ा बोलै क्यूं।
</poem>