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|रचनाकार= मधु आचार्य 'आशावादी'
|संग्रह=अमर उडीक / मधु आचार्य 'आशावादी'
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<poem>
उण दिन नेताजी
जनता खातर उपवास राख्यो
धरणो लगायो
भासण दियो
अर जीवण-मरण री सौगन खाई
उणां खातर ही
आ तो रोज री हथाई।
उपवास खतम हुयो
तो पूगग्या खेत
मुरगो खायो
दारू रो भोग लगायो
अर चाळो रच्यो
गांव री कोई जमीन
नीं रैवै पराई।
अेक आखो गांव
नेताजी रै नांव
उपवास फेरूं करै
किसानां रै हितां खातर
उपवास अर हथाई
चालै आज तंाई
रोवै खाली
गांव रा लोग-लुगाई।

</poem>
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