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|रचनाकार= मधु आचार्य 'आशावादी'
|संग्रह=अमर उडीक / मधु आचार्य 'आशावादी'
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<poem>
लोगां रा वोट
उणां री जै-जैकार
साच री पुकार
दुख निवेड़ण री आस
बां माथै करियो
आंख्यां मीच ‘र विस्वास
बणाय दिया गांव रा पंच
पण कुरसी माथै बैठता ई
बै बणग्या
फदड़ पंच।
हरेक काम मांय
टांग अटकावै
ऊभै नै बैठावै
बैठै नै गुड़कावै
अर मंूछां माथै ताव देंवता
इणी नै
राजनीति बतावै।

</poem>
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