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|संग्रह=अमर उडीक / मधु आचार्य 'आशावादी'
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<poem>
सब देखै
उण अेकलै ऊभै रूंख नै
उण री गाथा भी गावै
उणनै लांठो भी बतावै
आपरा दुखड़ा सुणावै
जरूरत पड़ियां
उणनै हथियार बणावै
पण
साच बतावो
आज तांई
किणी भी
उणनै दियो है कांई पाणी !
सुणी भी नीं है उण री वाणी
पण दुजा नै फायदो देय ‘र
बो तो है राजी
मन्नत पूरी हुयां
आपां भलां ई हुय जावां
उण सूं बेराजी।

</poem>
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