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|रचनाकार=ओम पुरोहित ‘कागद’
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|संग्रह=भोत अंधारो है / ओम पुरोहित ‘कागद’
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<poem>
ढोह दी टापरी
बाळ दी बाजरी
मेट दी आस
कर दियो
सैंग सित्यानास
जा रे डोफ्फा
गूंगिया बादळ!

आस ई ही
मुरधरा रो धन
खोस लियो थूं तो
कदै ई इयां
कर्या करै है काईं
इयां ई कोई
बरस्या करै है काईं!
</poem>
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