भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मधु आचार्य 'आशावादी' |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मधु आचार्य 'आशावादी'
|अनुवादक=
|संग्रह=अमर उडीक / मधु आचार्य 'आशावादी'
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
जित्ता भाई
बित्ता चूल्हा
कैवता ई रैवै लोग
पण
बाबोसा बतावै
पैलां घणा भाई
अेक चूल्हो
बरकत ई बरकत
न्यारा-न्यारा चूल्हा हुयग्या
घर मांय बापरग्यो
सरणाटो
हर चूल्है मांय अबै
आग थोड़ी
बरकत तो हुयगी गायब
घर -घर नीं रैयो
चूल्हां रो
समसाण बणग्यो
उणनै देख
मिनखपणो डरग्यो।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
8,152
edits