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{{KKRachna
|रचनाकार=मधु आचार्य 'आशावादी'
|अनुवादक=
|संग्रह=अमर उडीक / मधु आचार्य 'आशावादी'
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
अेक पास
अेक उडीक
अेक तिरस
आई तो है जिंदगी
आस अधूरी
तिरस नीं हुई पूरी
उडीक हुयगी लांबी
कियां जीवां जूण
पण
उडीक है, बो आवैला
सागै लेय जावैला
हर दुख नै संभळैला
इणी खातर
दीवो करियां नित उडीकूं
दीवो बडो हुसी पैली
के उडीक मिटसी
आ तो टैम ई बतावैला
तद तांई जूण चालैला
बस इयां ई चालैला।
</poem>
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अेक पास
अेक उडीक
अेक तिरस
आई तो है जिंदगी
आस अधूरी
तिरस नीं हुई पूरी
उडीक हुयगी लांबी
कियां जीवां जूण
पण
उडीक है, बो आवैला
सागै लेय जावैला
हर दुख नै संभळैला
इणी खातर
दीवो करियां नित उडीकूं
दीवो बडो हुसी पैली
के उडीक मिटसी
आ तो टैम ई बतावैला
तद तांई जूण चालैला
बस इयां ई चालैला।
</poem>