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|रचनाकार=ओम पुरोहित ‘कागद’
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|संग्रह=भोत अंधारो है / ओम पुरोहित ‘कागद’
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<poem>

गळी में खेलतां
लागगी ताळ
बीरै खींच्या बाळ
काढी गाळ
घर सूं निकळी तो
बाढ देस्यूं खुरड़ो!

</poem>
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