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|रचनाकार=ओम पुरोहित ‘कागद’
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|संग्रह=भोत अंधारो है / ओम पुरोहित ‘कागद’
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<poem>
बादळ बरसो
चावै मत ना बरसो
अटल पण चौवे
मुरधर री रगां
बण धंवर
जीव-जंत री आंख्यां
बण आंसूड़ा
म्हारै गांव में।

बिरखा सूं बेसी
पाळै है आस
अदीठ बादळ री
गावै तेजा-मोरिया
धोकै आस माता
अबकै बरसी
म्हारै गांव में।
</poem>
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