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Kavita Kosh से
मेले से लाया हूँ इसको
छोटी सी प्यारी गुड़ियागुड़िया,
बेच रही थी इसे भीड़ में
बैठी नुक्कड़ पर बुढ़ियाबुढ़िया
अंदर गुदड़ी है तो क्या?
ओ गुड़िया गुड़िया तू इस पल मेरे
शिशुमन पर विजयी माया।