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|रचनाकार= मधु आचार्य 'आशावादी'
|संग्रह=अमर उडीक / मधु आचार्य 'आशावादी'
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<poem>
दिनुगै -दिनुगै
भाई-भाई आपस मांय लड़िया
अेक-दूजै रा माथा फोड़या
दिन मांय
जमीन नै लैय‘र भायां मांय हुयी लड़ाई
अेक-दूजै माथै तलवार चलाई
सिंइया बेटै मा नै
घर सूं काढ दी
हाथ मांय सूं खोस लियो
रोटी रो टुकड़ो
दे दियो धक्को बारै
अर रात नै
निर्भया सागै हुयग्यो व्यभिचार
मिनखापणो हुयग्यो तार -तार
म्है देखतो रैयो सब
बण्योड़ो लाचार
साच है, आ जिंदगाणी
बणगी अेक अखबार।
</poem>
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