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बंटवारौ / दीनदयाल शर्मा

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|संग्रह=रीत अर प्रीत / दीनदयाल शर्मा
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<poem>
बेटी रै ब्याव में
आप पधार्या
परवार समेत।
मन्नै घणौ हरख हुयौ।

थानै देख'र
म्हारी छाती हुयगी चौड़ी
अर पुराणी यादां हुयगी हरी
म्हूं देख्यौ
थारौ प्रेम पोळमपोळ हो
म्हूं
भीतर तांईं भरग्यौ
जदी
म्हूं थानै
बांथां में भर लिया
पण
नीं कह सक्यौ थानै
आपरै मन री मांयली बात

म्हूं दु:ख-सुख बांटणौ चावै हो
पण
टैम थानै भी नीं हो
अर टैम म्हानै भी।
</poem>
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