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दिनकटी / दीनदयाल शर्मा

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|संग्रह=रीत अर प्रीत / दीनदयाल शर्मा
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<poem>
इस्कूल सूं
आंवतांईं
सात सालां रौ सोनू
बैठज्यै
घर री भींत माथै
अर
देखतौ रैवै
मा-बापूजी रै
आणैतांईं
आंतै-जांतै लोगां नै

अंधारौ हुयां पछै
बौ चल्यौ ज्यै
आपरै कमरै में

'होम वर्क' करतौ-करतौ
जद थक ज्यैै
तद
टीवी अर विडियोगेम
लागज्यै देखण
अर साथै-साथै
दूध पील्यै
अर सोज्यै

दिनुगै
मा-बापूजी
चल्या जावै
आप-आपरी ड्यूटी
अर सोनू
बस री खिड़की रै
कन्नै आळी सीट माथै
बैठ'र
इन्नै-बीन्नै
भाजतै लोगां नै
देखतौ
पूगज्यै आपरै इस्कूल

आथणगै
इस्कूल स
आंवतांईं
घरां बैठज्यै
घर री भींत माथै

अर देखतौ रैवै
बौ
मा-बापूजी रै
आणैतांईं
आंतै-जांतै लोगां नै।

</poem>
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