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सजा / दुष्यन्त जोशी

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|संग्रह=अेकर आज्या रै चाँद / दुष्यन्त जोशी
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<poem>
मिनख री बणायोड़ी
अै मशीनां
कूख में
बता द्यै
भ्रूण रौ भेद

अर पछै काट-काट'र काढै
बेटी नै
जलम सूं पै'ली

भगवान
थूं किण आस माथै भेजै
बेटी नै गरभ में

थूं भी बणै
पाप रो आधौ भागीदार

मिनख तो
भुगतसी
आपरै करमां री सजा

पण तन्नै
सजा
कुण देसी भगवान।
</poem>
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