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टाबर-४ / दुष्यन्त जोशी

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|संग्रह=अेकर आज्या रै चाँद / दुष्यन्त जोशी
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<poem>
अेक टाबर
पाटी माथै
बणावै केळौ, सेब,
पपीतौ अर अनार
अर दूजौ टाबर
बी नै चाटज्यै

भळै दूजौ टाबर
भांत-भांत री
चीज्यां बणावै
अर पै'लौ टाबर
चाट'र
ल्यै डकार

पण बापूजी नै
कह नीं सकै
साँचली चीजां सारू
जद
बापूजी जावै बजार।
</poem>
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