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{{KKRachna
|रचनाकार=दुष्यन्त जोशी
|अनुवादक=
|संग्रह=अेकर आज्या रै चाँद / दुष्यन्त जोशी
}}
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<poem>
कीं' लोग
आपरी हाजरी सूं
दुख देवै
अर
कीं' री
गैर हाजरी
दुखी कर दे
कित्तौ फरक है
मिनख
अर मिनख में।
</poem>
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कीं' लोग
आपरी हाजरी सूं
दुख देवै
अर
कीं' री
गैर हाजरी
दुखी कर दे
कित्तौ फरक है
मिनख
अर मिनख में।
</poem>